नई शिक्षा नीति के माध्यम से केंद्र सरकार और उच्च शिक्षा के ढांचे में काफी बड़ा बदलाव होने जा रहा है और तीन प्रमुख जो संस्था है जैसे कि यूजीसी एक्ट और एनसीटीई यह अब बंद होने के कगार पर हैं। खत्म करते हुए एग्रीकल्चर आयोग बनाए जाने की तैयारी चल रही हैं जैसे कि यूजीसी का आयोग अलग होता था एक्ट आयोग अलग होता था और एनसीटीई बिल्कुल अलग होता था। लेकिन इन सबको मिलाते हुए सिर्फ एक आयोग बनाया जाएगा जो कि सरकार के माध्यम से इसकी तैयारी कर ली गई है शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा में इसकी जानकारी दे दिया है कि सरकार यूजीसी एआईसीटीई और एनसीटीई जैसे वर्तमान नियामक संस्थाओं की जगह अब एक ही उच्च शिक्षा आयोग यानी कि हायर एजुकेशन कमिशन आफ इंडिया ले जाने की दिशा में काफी तेजी से कार्य कर रही है। इस आयोग हेतु हायर एजुकेशन कमिशन आफ इंडिया ले जाने की दिशा में काफी तेजी से कार्य जारी है इस नए आयोग को लेकर एक ड्राफ्ट बिल तैयार हो रहा है जो कि आने वाले दिनों में संसद के समक्ष इसको रखा जाएगा।
राज्य शिक्षा मंत्री नये आयोग पर क्या बोले जाने
राज्य शिक्षा मंत्री सुकांत मजूमदार के द्वारा सोमवार को लोकसभा में यह बताया गया कि यहां नया आयोग कर स्वतंत्र स्तंभों पर कार्य करेगा। जिसमें निम्न प्रत्यायन फंडिंग और अकादमिक मानक यहां पर सम्मिलित है। इसका मकसद शिक्षा क्षेत्र को पारदर्शी व अधिक जवाबदेही यहां पर बनाया जाना है राज्य शिक्षा मंत्री के द्वारा कहा गया कि यह बड़ा कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से उठाया जा रहा है। जिसमें यह कहा गया है कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को लाइट बूट टाइट ढांचे के तहत संचालित किया जाएगा यानी नियंत्रण कम हो लेकिन जवाब देही व गुणवत्ता सुनिश्चित किया जाए।
हायर एजुकेशन आफ इंडिया हेतु सरकार की यह है योजना
अब तक विश्वविद्यालय को मान्यता दिए देने वाले यूजीसी तकनीकी शिक्षा को रेगुलेट करने वाले और एक्ट और शिक्षक शिक्षा पर नजर रखने वाले और NCTE इस नई व्यवस्था में यह सभी संस्थाएं HECI के तहत समाहित हो जाएगा। जिससे छात्रों व संस्थाओं की उलझने यहां पर कम होगी बल्कि नियमन में एकरूपता और सरलता देखने को मिलेगा।
यूजीसी एक्ट को रद्द करने का प्रस्ताव पहले भी रखा जा चुका है
जैसा कि हायर एजुकेशन आफ इंडिया की जो कल्पना है पहली बार 2018 में एक ड्रॉप टेबल पेश किया गया था और इसके माध्यम से किया गया था जिसमें यूजीसी एक्ट को रद्द करते हुए सिंगल रेगुलेटरी संस्था स्थापित किए जाने के प्रस्ताव को यहां पर तय किया गया था। हालांकि तब यह बिल सार्वजनिक चरण हेतु खोला गया था। अब बाद में ठंडे बस्ते में यहां पर चला गया। लेकिन 2021 में धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्री बनने के बाद इस दिशा में नए प्रयासों को गति मिला है। नई शिक्षा नीति 2020 में यह पूरी तरह से स्पष्ट कहा गया है कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली हेतु अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाए जाने हेतु वर्तमान नियम लिखिए ढांचे में पूरी तरह से बदलाव की अब यहां पर जरूरत है। अब सब की निगाहें इस पर टिका हुआ है यह नया बिल कब संसद में पेश होगा और क्या यह भारत की उच्च शिक्षा के इतिहास में एक नया अध्याय अब जोड़ने जा रहा है।