UP Board School Permanent Closed News: उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग को दिए गए आदेश की वजह से कम नामांकन वाले तकरीबन 10000 विद्यालय को बंद कर दिया गया है और दूसरे विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है। खाली पड़े विद्यालय में बालवाड़ी गांव की कक्षाओं को शुरू किया जाएगा। बता दिया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय बंद किए जाने के बाद योगी सरकार के माध्यम से अभी उत्तर प्रदेश के बोर्ड का कम और जीरो नामांकन वाले विद्यालयों को बंद किए जाने के महत्वपूर्ण फैसला ले लिया गया है। जितने भी इस प्रकार के विद्यालय हैं जहां बिल्कुल बच्चे नहीं है यह बच्चों की संख्या बेहद कम है ऐसे विद्यालयों की मान्यता में वृद्धि किया जाएगा और जिसकी प्रक्रिया विभाग के माध्यम से शुरू कर दिया गया है। तकरीबन उत्तर प्रदेश में 355 स्कूलों की मान्यता रद्द सूची में सम्मिलित कर दिया गया है। इन विद्यालयों की मान्यता रद्द किए जाने की प्रक्रिया वर्तमान में अंतिम चरण पर है और पिछले तीन वर्षों में स्कूलों में काफी कम बच्चे शिक्षक ग्रहण कर रहे थे केवल नाम के लिए यह स्कूल चल रहे थे। पर बोर्ड के द्वारा इन विद्यालयों पर काफी कड़ा एग्जाम वह रख अपनाया गया है और उनकी मान्यता को रद्द किए जाने का महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है।
यूपी में पहले चरण में 355 स्कूलों की मान्यता किया गया रद्द
कम नामांकन वाले जितने भी स्कूल है उनकी मान्यता को सरकार के माध्यम से रद्द किए जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। ऐसे सभी स्कूल बंद किया जाने वाला है। इसके पहले चरण में 355 स्कूलों को लपेटे में ले लिया गया है क्योंकि इन स्कूलों द्वारा अभी तक कोई भी हाई स्कूल या इंटरमीडिएट की परीक्षा को नहीं दिया गया है इसलिए इन विद्यालयों पर यह कार्यवाही हो रही है बता दिया जाता है कि इससे बच्चों की शिक्षा पर अच्छा असर पड़ने वाला है और उनकी गुणवत्ता भी बढ़ जाएगी।
यह स्कूल शिक्षा व्यवस्था पर बने हैं बोझ
ऐसे विद्यालय जहां पर बच्चों की संख्या बेहद कम है सिर्फ नाम पर यह विद्यालय चल रहे हैं तो यहां पर इन विद्यालयों का शिक्षा के क्षेत्र में फिलहाल कोई उपयोग नहीं दिख रहा है और इसमें जो पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अभी बर्बाद हो रहा है। इन सभी को देखते हुए बोर्ड के अधिकारियों ने निर्णय लिया है और सभी स्कूलों को शिक्षा व्यवस्था पर उपयोग न होना माना गया है अब ऐसे में आया अनुमान लगाया जा रहा है कि यह से परीक्षा केंद्र के रूप में इस्तेमाल अभी तक हो रहे थे और नकल के अड्डे भी है इसलिए सभी विद्यालयों के खिलाफ शिक्षा बोर्ड के माध्यम से कारवाइयां लगातार किया जा रहा है और इन्हें बंद किया जा रहा है।
इन विद्यालय में नहीं होगी बोर्ड की परीक्षाएं
सरकार के माध्यम से इन विद्यालयों की मान्यता को पूरी तरीके से खारिज किए जाने की तैयारी को शुरू कर दिया गया है और भविष्य में इनको परीक्षा केंद्र अलॉटमेंट में व नामांकन प्रक्रिया हेतु कोई जगह अब नहीं मिल पाएगी सरकार का जो यह कदम है शिक्षा की पारदर्शिता को और बढ़ाएगा और बच्चों की गुणवत्ता सहित पढ़ाई को और यहां पर सुनिश्चित करेगा। इन स्कूलों के खिलाफ डिजिटल रिकॉर्ड देखने के बाद रिपोर्ट तैयार कर लिया गया है और उनकी मान्यता प्राप्त करने के महत्वपूर्ण फैसला ले लिया गया है।
अब काम नामांकन वाले राजकीय विद्यालय पर मंडराया खतरा
उत्तर प्रदेश के राजकीय विद्यालयों पर भी खतरे के बादल छाने लगे हैं क्योंकि माध्यमिक विद्यालय में तकरीबन 500 विद्यालयों में 50 से कम नामांकन है। और सरकार के माध्यम से उनकी सूची मंगा लिया गया है इस सूची के आधार पर प्रदेश के तकरीबन 436 की विद्यालयों में 50 या उससे भी कम नामांकन है जबकि 190 इंटर कॉलेज ऐसे जहां पर सबसे कम बच्चे पढ़ रहे हैं सरकार के माध्यम से इन विद्यालयों को सख्त निर्देश दे दिया गया है कि नामांकन बढ़ाई जाए वरना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू होगी और चेतावनी के रूप में यह आदेश देखने को मिला है अगर निर्देशों का पालन नहीं होता है तो भविष्य में इन विद्यालयों को बंद किया जाने वाला है।